महान दार्शनिक आशीष नौटियाल जी यूक्रेन के मौजूदा हालातों से आक्रोशित हो कर वहाँ के घटनाक्रम की समीक्षा करने अपने विशेष सचल दस्ते के साथ रवाना हुए। वो ज्यादा आक्रोशित थे कि पहले से आक्रोशित व्लादीमीर प्रसाद पुतिन और किमनाथ जांग उन ने हवाईअड्डे पर ही उन्हें अपने ग़ुस्से पर नियंत्रण रखने की सलाह दी।
आप रूस के माउंट एल्ब्रुस पर पिघलती बर्फ को देख कर अंदाजा लगा सकते हैं कि माहौल कितना गर्म है। देशद्रोही ताकतों और गोदी मीडिया ने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘नाटो’ की ईंट से ईंट बजाने के लिए पुतिन ने ‘नौटी’ की मदद माँगी और उनसे हाथ मिलाया है।
यूक्रेन में ताजमहल के निर्माण की उठी माँग
सदियों से चल रही बाताबाती पर पूर्ण विराम लगाते हुए अखंड भारत की ही तर्ज पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अखंड रूस के लिए यूक्रेन पर हमले की घोषणा कर दी। भारत के वामपंथी बौद्धिक वर्ग ने संयुक्त राष्ट्र को अपनी राय भेजते हुए कहा है कि पुतिन को यूक्रेन में फ़ौरन एक ताजमहल भी बनवा देना चाहिए। इसका उद्देश्य यह है कि आने वाले समय में यूक्रेन के लोग उसमें प्यार और मोहब्बत नजर आ सके और उनके बीच ‘रूसीफोबिया’ न पनप पाए।
इस वीडियो को आप हमारे यूट्यूब चैनल Pahadi Panda पर भी देख सकते हैं-
उधर यूट्यूब से कमेंट चुरा के ट्वीट करने वाले ट्विटर बेस्ड जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट को इस पूरे मामले में तब तक कुछ समझ नहीं आ रहा था जब तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की इस मामले में एंट्री नहीं हुई थी। जासूसी सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जियो पॉलिटिकल एक्सपर्ट सालभर से पाकिस्तान के नक़्शे में यूक्रेन तलाश रहे थे।
इमरान खान में एक कमाल की बात तो है ही वैसे। इमरान खान के रूस पहुँचने के बाद से हालात थोड़ा सुधरे भी हैं। जो रूस सालभर से यूक्रेन पर कोई फैसला नहीं ले पा रहा था, उसने भी इमरान खान के बीच बचाव के प्रयासों में घुसते ही यूक्रेन को पेलने का मन बना लिया।
यूक्रेन विवाद पर बड़ी हस्तियों और नेताओं की क्या-क्या प्रतिक्रिया रही
सबसे पहले तो इस पूरे विवाद पर भारत के इंटर और हाईस्कूल के छात्रों की प्रतिक्रिया आई है। छात्रों ने इस बात पर ख़ुशी प्रकट की थी कि रूस और यूक्रेन के हमले के बाद एक बार फिर छात्रों को बोर्ड एग्जाम को स्थगित कर उन्हें सीधा पास घोषित कर दिया जाएगा।
हालाँकि ये ख़ुशी की लहर तब अचानक शोक में तब्दील हो गई जब पुतिन ने अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर राष्ट्र के तेजस्वी छात्रों के नाम अपने सन्देश में स्पष्ट कह दिया कि तुम लोग अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो और मेरे भरोसे मत बैठो कि ये युद्ध करेगा तो पेपर नहीं देने पड़ेंगे।
मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने कहा कि ऐसे छात्रों को निराश होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वो अपने अगले वीडियो में युद्ध में मारे जाने के 101 फायदे बताने वाले हैं।
अब अगली प्रतिक्रिया इस मामले में कुमार विश्वास की आई है। कवि कुमार विश्वास ने कोई दीवाना कहता है कविता सुनकर अपने बयान की शुरुआत की और कहा कि पुतिन ने उन्हें पहले ही यूक्रेन पर हमला कर पृथक यूक्रेन का प्रधानमंत्री बनने की इच्छा प्रकट कर दी थी। कुमार विश्वास ने कहा कि पुतिन हवाघर पे आ कर साबित करे कि उसने ऐसा नहीं कहा।
ये बयान सामने आते ही आशीष जी ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पुतिन ने तो ये ऑफर सबसे पहले आदरणीय नौटियाल जी को दिया था। नौटियाल जी को आक्रोशित देखते हुए पुतिन ने कहा कि ये सभी बातें अफवाह हैं और युद्ध रुकने के बाद एक एक को देख लेंगे।
युद्ध के बीच जब कुछ लोगों ने शान्ति वार्ता की बात उठाई तो बरबस ही नेहरु जी की याद आई। कुछ लोगों ने कहा कि आज अगर कबूतरबाज चचा रूस के प्रधानमंत्री होते तो वो ये कहकर यूक्रेन को उसके हाल पे छोड़ देते कि वहाँ तो घास तक नहीं उगती है।
अनपढ़ अनपेड संघी गोदी मीडिया आजकल रूस में भी लद्दाख का जिक्र ले आती है ताकि नेहरु को जलील किया जा सके। ये अगर पढ़े लिखे होते तो इन्हें पता होता कि नेहरू जी के रूस पर क्या विचार थे। रूस पर नेहरु जी द्वारा लिखी गई एक प्राचीन किन्तु अप्रकाशित कविता में उन्होंने इस बात का स्पष्ट जिक्र किया था कि रूस और यूक्रेन का मसला एडविना कि जुल्फों जितना ही पेचीदा है।
मीडिया गैंग डीबीसी के इतिहासकार रेहान गजल से जब हमने इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि नेहरू जी को रशियन में सिर्फ HD पसंद था। उन्होंने ये भी बताया कि नेहरु जी बहुत बड़े किसान थे, उन्होंने अंग्रेजों के कई खेत जोत डाले थे और आज अगर वो हमारे बीच होते तो यूक्रेन के भी खेत जोत डालते। वाकई नेहरु जंग के बदतर हालातों को भी मोहब्बत से जीतना जानते थे। कालजयी पुरुष थे। दस बटे दस करिश्माई व्यक्तित्व!
नेहरू जी की बात आई तो बापू भी बरबस याद आए। कुछ लोगों ने तो यह भी अफवाह फैला दी कि रूस से बदला लेने के लिए नाटो के सिपाही यूक्रेन की सीमा पर हाथों में चरखा लिए खड़े थे। जब उनसे इसकी वजह पूची गई कि भाई क्या वजह है, यहाँ जंग लड़नी है, सूत नहीं काटना, तो नाटो ने ये बड़ी बात कह दी।
नाटो की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जिस तरह से बापू ने चरखा चला के अंग्रेजों को भगा दिया था उसी तरह वो रूसी सैनिकों को भी वापस खदेड़ देंगे। ताजा समाचार में पता चला है कि नाटो की इस कोमेडी पर पुतिन ने यूक्रेन का एक और एयरबेस लगे हाथ उड़ा दिया और चरखा नाटो सैनिकों के गलत जगह डाल के चला दिया।
सच्चे हिन्दू हैं बालकृष्ण पुतिन
पुतिन के इस कठोर फैसले के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म है। लोगों ने हड़प्पाकालीन साक्ष्य के आधार पर दावा किया है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन सच्चे हिन्दू हैं और अखंड भारत के सिद्धांत से बहुत प्रभावित हैं। ये खुलासा तब हुआ जब पुतिन ने कहा कि वो उक्रेन को समतल कर वहाँ पर सुन्दर कांड का पाठ करवाना चाहते हैं।
हमारे खोजी रिपोर्टर ने हमें बताया कि व्लादिमीर पुतिन का असली नाम बालकृष्ण पुरोहित है। इसके पीछे उन्होंने जो प्रमाण दिए वो इस तरह से हैं।
- व्लादिमीर पुतिन सेना उतारकर सब कुछ शांतिपूर्ण तरीक़े से करता है
- अखंड भारत से प्रेरणा लेता है और अखंड रूस के सिद्धांत पर काम करता है
- बांग्लादेश में जो विश्वगुरु भारत ने किया वही यूक्रेन में पुतिन करना चाहता है
- अमेरिका को विश्वगुरु भारत की तरह अपने ‘हाशिए’ पर रखता है
- नाटो से कहता- ‘हवाघर पे मिल’ अमेरिका से कहता- ‘चल फ़ुट ले’
- अपनी मातृभाषा से प्रेम
- कठपुतली का खेल जानता है
- मोदी को वोट करना चाहता
यहाँ तक भी सुनने में आ रहा है कि पुतिन ने यूक्रेन में तनाव पैदा किया ही इसीलिए है ताकि वहाँ के भारतीयों को भारत बुलावा कर उत्तर प्रदेश चुनाव में योगी को उनका वोट डलवाकर मतदान को प्रभावित करे।
सीमा पर ये डेवलपमेंट देख कर अचानक एक टोपी पहने व्यक्ति पर गोदी मीडिया की नजर पड़ी। नासा से जारी तस्वीरों में जो टोपी पहचानी गई, उस से पता चला कि ये तो आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कर्नल कोठियाल हैं।
उत्तराखंड चुनाव के बाद अपने हारने की उम्मीद लगाए बैठे ‘टन टन टन’ वाले AAP के कर्नल कोठियाल भी रूस और यूक्रेन की गोलीबारी सुनकर चार्ज हो गए। जब वो अपनी टोपी उठाकर उक्रेन की दिशा में दौड़ने लगे तो उन्होंने बताया कि वो रूस से यूक्रेन की ओर चलाई जा रही सभी छर्रों को अपनी पसलियों में भरने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन ने हमले की शुरुआत बाद में की, पहले उनके कानों में ‘टन टन टन’ की आवाज गूँजने लगीं थीं।
मेनस्ट्रीम मीडिया और गोदी मीडिया, दोनों ने जो एक जोरदार घटनाक्रम आम जानता से छुपाया उसके तार भी रूस-यूक्रेन विवाद से जुड़े हुए हैं। दरअसल उत्तराखंड की क्षेत्रीय पार्टी UKD के एक नेता मोहित डिमरी पर पुलिस ने ‘आरोप’ लगाए हैं कि उन पर चुनाव की पहली रात कोई हमला नहीं हुआ बल्कि उन्होंने उत्तराखंड का पहला केजरीवाल बनने के लियी ये हरकत की थी।
लेकिन जब रूस और यूक्रेन के मामले में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने पहल की तब पता चला कि क्रन्तिकारी उम्मीदवार डिमरी को वास्तव में चोट आई थीं और ये छोट उन्हें रूस की ओर से दागी गई मिसाइलों से टकरा जाने के कारण आईं।
वहीं, उत्तराखंड कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत का कहना है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त होने के बाद वो वहाँ के घंटाघर पे फ़ूड फेस्टिवल का आयोजन करेंगे, जिसमें निम्बू, संतरे और माल्टा के साथ साथ लाल पानी के माध्यम से विकास का रास्ता तलाशा जाएगा।
ये समाचार लिखे जाने तक हरीश रावत ने ये भी घोषणा की थी कि अगर यूक्रेन रूस की शर्त मान जाता है तो वो वहाँ पर भी एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी की नींव रखेंगे।