अफसरशाही अपने काम के तरीकों और संवैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग के लिए अक्सर चर्चा में रहती हैं। खासकर उत्तराखंड जैसे राज्यों में तो यह माना जाता है कि यहाँ पर चंद अफसरों का VIP कल्चर आज भी वायसराय प्रणाली की याद दिलाता है।
ऐसे ही अफसरशाही की मार देहरादून की एक महिला चिकित्सक को झेलनी पड़ी है और वो भी सिर्फ इस वजह से क्योंकि स्वास्थ्य सचिव की पत्नी डॉक्टर से नाराज थीं। शासन में बैठे अफसरों की दादागिरी की शिकार इस बार डॉ निधि उनियाल हुई हैं जो कि वर्तमान में दून मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त हैं।
दरअसल, बृहस्पतिवार (31 मार्च, 2021) को दून मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य सहायक प्रोफेसर डॉ निधि उनियाल को दोपहर के समय आदेश दिया गया कि वह आइएएस डॉ पंकज पांडे के घर जाएँ और उनकी पत्नी का स्वास्थ्य परीक्षण करें।
उल्लेखनीय है कि डॉ निधि उनियाल के कार्य की कोरोना महामारी के दौरान भी जमकर सराहना हुई थी। डॉ निधि ने पिछले दो साल में कोरोना के दौरान दून अस्पताल में पूरा मोर्चा संभाला हुआ था। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना के अनुसार डॉ निधि को रिलीव कर दिया गया। उनका कहना है कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में उनकी जरूरत थी। हालाँकि इस घटना से निराश हो कर डॉ निधि ने अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है।
‘दी लाटा न्यूज़’ से बात करते हुए डॉ निधि ने इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया। शासन से यह आदेश जब डॉ निधि उनियाल को मिला उस समय वह OPD में मरीजों को देख रही थीं। उन्होंने शासन से आदेश मिलने के बाद पहले तो अधिकारी के घर जाने से मना कर दिया लेकिन फिर वह शिष्टाचार का पालन करते हुए अपने साथ दो हेल्थ स्टाफ ले कर स्वास्थ्य सचिव के घर पहुँचीं।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइन लगी है, ऐसे में मरीजों को छोड़कर क्या किसी के घर जाना उचित है। विरोध करने के बाद भी जबरन डॉ निधि उनियाल को सचिव के घर भेज दिया गया। साथ ही अस्पताल का स्टाफ में एक नर्स और वाहन चालक भी था।
डॉ निधि ने बताया कि वो अपना बीपी इंस्ट्रूमेंट अपनी ही कार में छोड़ कर स्वास्थ्य सचिव के घर पहुँचीं। उन्होंने अपने सहयोगियों से इसे लाने को कहा लेकिन तब तक सचिव की पत्नी का पारा गरम हो गया था। वो किसी से फ़ोन पर बात करने लगीं। डॉ उनियाल ने उनसे कहा कि वो इंस्ट्रूमेंट अपने साथ लाई हैं लेकिन यह कार में रह गया है, जिसे लाने में उन्हें कुछ मिनट ही लगेंगे।
इस पर सचिव की पत्नी ने डॉ उनियाल सहित वहाँ मौजूद सभी स्टाफ़ से बदतमीजी शुरू कर दी और उन्हें सुनाना शुरू कर दिया। डॉ निधि उनियाल ने इसका विरोध किया और वह वापस अस्पताल चली आई। उन्होंने बताया कि वो विधिवत अपनी क्लास में लेक्चर देने चली गईं।
सचिव की पत्नी ने महिला चिकित्सक को यहाँ तक धमकी दी कि वो अपनी नौकरी करना भूल जाएँगी। मेडिकल कॉलेज की डॉ निधि उनियाल को सचिव की पत्नी से माफी माँगने को भी कहा गया लेकिन उन्होंने इस पर स्पष्ट मना कर दिया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने कोई गलती की ही नहीं है तो उन्हें माफ़ी माँगने की भी आवश्यकता नहीं है।
जब वो क्लास से वापस बाहर आईं तब तक उनके व्हाट्सऐप में उनका अटेचमेंट लेटर भी पहुँच चुका था। डॉ निधि ने बताया कि उन्हें अचानक से पदों की कमी पूरी करने की बात कहते हुए अल्मोड़ा जाने का आदेश दे दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि दून मेडिकल कॉलेज में पहले से ही शिक्षकों की कमी चल रही है इसके बावजूद उन्हें अचानक से अल्मोड़ा भेजने के आदेश दिए जाते हैं।
यह बात भी विचारणीय है कि प्रोटोकॉल के तहत सीएम या गर्वनर के घर ही डॉक्टर जा सकता है। इतनी सीनियर डॉक्टर को पंकज पांडे के घर भेजा जाना भी अफसरशाही के तरीकों पर सवालिया निशान लगाता है। वह भी तब, जब डॉ निधि ओपीडी संभाल रहीं थीं। ख़ास बात यह है कि तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत और तीरथ सिंह रावत, दोनों को जब कोरोना हुआ तो वो खुद अस्पताल गए थे। तो क्या सचिव पंकज पांडे सीएम से भी बड़े पद हैं?
शासन की ओर से उन्हें आदेश जारी किया गया। यह आदेश सचिव डॉ पंकज कुमार पांडेय की ओर से दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अल्मोड़ा में सोबन सिंह जीना राजकीय आर्युविज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा में वर्तमान शैक्षणिक संघ में एमबीबीएस पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाने के संबंध में एनएमसी से प्राप्त एलओपी के क्रम में मेडिकल कॉलेज व बेस चिकित्सालय के सुचारु संचालन के लिए डॉ निधि उनियाल का देहरादून से राज्यहित में सोबन सिंह जीना राजकीय आर्युविज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा में संबद्ध किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि डॉ निधि उनियाल देहरादून के बसंत विहार क्षेत्र में रहती हैं। उनके पति हिमांशु बडोनी ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट देख रहे हैं। इस तबादला आदेश आने के साथ ही डॉ निधि उनियाल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसकी पुष्टि उनके पति ने भी की है।