उत्तराखंड की सीमा पर बसे गाँव और कस्बों पर नेपालियों का अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। कुछ माह पहले यह माना जा रहा था कि भारत और नेपाल के बीच ‘नो मैन्स लैंड’ (No Man’s Land) को लेकर होने वाले विवाद अब थम जाएँगे लेकिन यहाँ से अभी भी नेपाली दुकानदार हटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
चम्पावत जिले के टनकपुर से सटे नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के ‘नो मैन्स लैंड’ पर नेपाली नागरिकों ने जबरन अस्थायी दुकानें लगाईं हुई हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रशासन लम्बे समय से इन इलाकों से ऐसे अतिक्रमण हटाता रहा है।
ये नेपाली नागरिक गत शुक्रवार से इस जगह पर अपने तख्त और चारपाई डालकर अस्थायी दुकान लगाने की कोशिश कर रहे हैं। जब नेपालियों को ऐसा करने से रोका गया तो इस पर विवाद भी हुआ। इसके बाद SSB ने दुकान लगाने से इन नेपाली नागरिकों को रोक दिया। इस ताजा विवाद के बाद SSB ने इस मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी है।
भारत और नेपाल के बीच अब लंबे समय से चले आ रही इस समस्या के समाधान को लेकर ज्वाइंट सर्वे कराने की तैयारी भी चल रही हैं। दोनों देशों के विदेश व गृह मंत्रालय के अधिकारियों के बीच इस सर्वे को लेकर बात चल रही है और कुछ माह पूर्व ही इसकी कागजी प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई थी।
नो मैन्स लैंड में ब्रह्मदेव स्थित पिलर संख्या 811 के पास नेपाली नागरिकों ने गत शुक्रवार को अस्थायी दुकानें लगाने की फिर कोशिश की। इस पर डीएम विनीत तोमर ने एसएसबी और नेपाल की आर्म्ड पुलिस फोर्स के साथ वार्ता कर समाधान के निर्देश दिए थे।
मौके पर पहुँचा कर SSB के जवानों ने अतिक्रमण कर रहे नेपालियों की कोशिशों को नाकाम कर दिया। इस दौरान विवाद और हल्की नोकझोंक भी हुई। नेपाली व्यापारियों और प्रशासनिक पक्ष ने 15 जून तक चलने वाले पूर्णागिरि मेले तक अस्थायी रूप से दुकानें लगाने का आग्रह किया था, जिसे भारतीय पक्ष ने ठुकरा दिया था।
विवाद की आशंका के चले एसएसबी जवानों ने शनिवार को भी इलाके की कड़ी निगरानी की जिसके चलते नेपाली नागरिक दुकानें नहीं लगा पाए। लेकिन रविवार के दिन थोड़ी ढिलाई होने पर नेपाल के नागरिकों ने अस्थायी दुकानें फिर लगा लीं।
समाचार पत्र अमर उजाला के अनुसार, नेपाल के छोटे दुकानदारों ने इस जगह 22 अस्थायी दुकानें लगा लीं हैं। इन दुकानों पर वे पूजन और अन्य सामग्री बेच रहे हैं। एसएसबी के अधिकारियों ने बिना अनुमति के नो मैंस लैंड पर कुछ नेपाली नागरिकों द्वारा दुकानें लगाने की जानकारी प्रशासन और उच्चाधिकारियों को दे दी है। उनके निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि नेपाल और भारत के सीमाई इलाकों के विवादों की शिकायतें अक्सर एसएसबी को मिलती रही है। अररिया के सोनामुनी गोदाम, नरपतगंज प्रखंड के सिमराही पथरदेवा, घूरना, मीनापुर, जोगबनी, नरपतगंज व कई अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमण को लेकर अक्सर शिकायतें मिलती रहती हैं। लोग नो मैंन्स लैंड पर दुकान भी लगाते हैं और जमीन का उपयोग व्यवसाय के लिए करते हैं।
चीन के इशारे पर पहले भी सड़क निर्माण कर चुका है नेपाल
कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान भी नेपाल ने चीन के इशारे पर नो मैन्स लैंड में सड़क निर्माण शुरू किया था। तब चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा पर विवाद की स्थिति पैदा हो गई।
इस जगह से भारत का नजदीकी जिला उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला है। हालाँकि उस समय भी सूचना मिलने पर एसएसबी के डीआईजी, पीलीभीत डीएम व एसपी फोर्स समेत मौके पर पहुँचकर दोनों देशों के अफसरों से वार्ता कर निर्माण को रुकवा दिया था।
क्या होता है ‘नो मैन्स लैंड’
जब 2 देशों के बीच की सीमा निर्धारित करने के लिए कुछ भूमि छोड़ दी जाती है, तो उस जगह को ‘नो मैन्स लैंड’ कहते हैं। ये जगह किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं होती और इसमें सीमा निर्धारण के लिए स्तंभ या बाड़ लगा दी जाती है।