आंदोलन और संघर्ष का पर्याय माने जाने वाले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को वामपंथी दलों एवं क्रांतिकारियों के लिए उर्वरा माना जाता था, लेकिन क्रांतिकारियों और वामपंथियों की विधानसभा चुनाव में जमानत ही जब्त हो गई।

उत्तराखंड में कम्युनिस्ट आंदोलन स्वतंत्रता आन्दोलन के समय से ही सक्रिय रहा। टिहरी की राजशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले नागेंद्र सकलानी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे।  इसके अलावा, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली भी कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं। 

दिल्ली में ‘फ्री की राजनीति’ से दो बार सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की ये स्कीम उत्तराखंड में अपना कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई। AAP का उत्तराखंड में ये हाल रहा कि इसके मुख्यमंत्री पद के दावेदार रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल की जमानत ही जब्त हो गई जो कि गंगोत्री विधानसभा सीट से लड़ रहे थे।

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AAP के CM पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल की गंगोत्री सीट से जमानत जब्त हो गई। उन्हें 57,928 वोटों में से सिर्फ़ 6,161 वोट ही मिले। पोस्टल बैलेट, जो कि अधिकांश फौजियों के थे, उसमें भी कर्नल कोठियाल को महज 163 वोट मिले। वहीं BJP के सुरेश चौहान को 942 और विजयपाल सजवाण को 550 वोट मिले।

साभार: चुनाव आयोग

इस चुनाव के साथ AAP ने उत्तराखंड राज्य की राजनीति में पदार्पण किया। हालाँकि, पार्टी उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई। पार्टी का मत प्रतिशत भी साढ़े तीन प्रतिशत से कम पर सिमट गया।

आम आदमी पार्टी ने अपने ‘वचन पत्र’ में उत्तराखंड नवनिर्माण के लिए 10 गारंटी और 119 वादे किए। सत्ता में आने पर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने, प्रत्येक घर को 300 यूनिट फ्री बिजली देने और हर युवा को रोजगार, नौकरी न मिलने तक 5,000 रुपए हर महीने भत्ता देने का वादा किया था।

इतना ही नहीं, 18 साल से ऊपर की सभी महिलाओं को प्रत्येक महीने 1,000 रुपए की ‘सम्मान राशि’ देने का भी वादा किया और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की बात कही।

हालाँकि, उत्तरखंड की जनता इन झाँसों में नहीं आई और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को पूर्ण बहुमत दे दिया, जिसकी बदौलत भाजपा दोबारा राज्य में सरकार बनाते हुए इतिहास बनाने जा रही है।

वामपंथी दल के प्रत्याशी की भी जमानत जब्त, भाकपा (माले) को NOTA से भी कम वोट

वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा (माले) का लाल झंडा पहाड़ों में लहराने का ख्वाब देखने वाले इन्द्रेश मैखुरी भी कर्णप्रयाग सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाए। उन्हें अपनी सीट पर मात्र 590 वोट (1% वोट) पड़े जो कि कर्णप्रयाग सीट पर NOTA से भी कम थे।

कर्णप्रयाग विधानसभा में मतदाताओं ने 958 वोट NOTA को दिए, जो कि कुल मतदान का 1.62% है। कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर बीजेपी के अनिल नौटियाल जीत दर्ज करने में सफल रहे।

साभार: चुनाव आयोग

यहाँ मुकाबला सीधे तौर पर भाजपा और कॉन्ग्रेस के बीच था। यहाँ पर भाजपा से अनिल नौटियाल और कॉन्ग्रेस से मुकेश नेगी आमने सामने थे। इनके अलावा आप (AAP) से दयाल सिंह बिष्ट भी यहाँ से प्रत्याशी थे।

एंटी इंकम्बेंसी के बावजूद भाजपा ने रचा इतिहास, लेकिन मत प्रतिशत घटा

भाजपा को वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में करीब साढ़े 46% वोट मिले थे। तब भाजपा ने बंपर जीत हासिल करते हुए 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में सीटों की संख्या घटकर 47 रह गई है और इसी के अनुसार भाजपा का वोट प्रतिशत घटकर साढ़े 44 के आसपास आ गया।

वहीं, कॉन्ग्रेस को महज 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और इस बार आँकड़ा बढ़कर 21 हो गया है। ऐसे में कॉन्ग्रेस का मत प्रतिशत 34 से बढ़कर 38 के करीब पहुँच गया है।

मोदी मैजिक

चुनाव आयोग के अनुसार, उत्तराखंड में मौजूदा रुझान से स्पष्ट हो गया है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने न केवल पहाड़ी राज्य में सत्ता-विरोधी लहर को विफल साबित कर दिया, बल्कि राष्ट्रीय हित, धार्मिक पर्यटन, राष्ट्रीय सुरक्षा, सेना कल्याण जैसे मुद्दों पर मतदाताओं को प्रभावित करने में भी भाजपा सक्षम रही है।

‘मोदी मैजिक’ ने अपना कमाल दिखाया और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तराखंड में सत्ता में वापसी करने जा रही है। भाजपा 47 सीटें जीत चुकी है, जो कि 70 सीटों वाली विधानसभा में आवश्यक बहुमत से 11 अधिक हैं। इस जीत के साथ ही भाजपा राज्य में इतिहास बनाने में कामयाब रही क्योंकि यह पहली बार है जब इस पहाड़ी राज्य में कोई भी राजनीतिक दल वापसी करने में सफल रहा हो।

विधानसभा चुनावों में पाँच में से चार राज्यों में भगवा लहराने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी राज्यों के मतदाताओं को धन्यवाद दिया।

यह भाजपा के लिए एक तरह का रिकॉर्ड बनने जा रहा है यहाँ सत्ता विरोधी लहर के कारण साल 2000 में अपने गठन के बाद से किसी भी पार्टी को सत्ता बरकरार नहीं रह पाई है।

इस बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जिन्होंने खटीमा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, चुनाव आयोग के आधिकारिक रुझानों के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी से 6,579 मतों के अंतर से हार गए। यही नहीं, कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता एवं मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हरीश रावत भी बुरी तरह से चुनाव हार गए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के लोगों को धन्यवाद दिया और समान नागरिक संहिता को लागू करने के अपने वादे को भी दोहराया। धामी ने भाजपा कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उत्तराखंड के लिए पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

उत्तराखंड में 14 फरवरी को वोट डाले गए वोटों की गिनती गुरुवार सुबह 8 बजे शुरू हुई। राज्य में 59.51% मतदान हुआ। साल 2017 में, मोदी लहर के चलते भाजपा कुल 70 विधानसभा सीटों में से 57 पर जीत हासिल करने में सफल रही, जबकि कॉन्ग्रेस ने सिर्फ 11 सीटें जीतीं।

आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कर्नल अजय कोठियाल की भी गंगोत्री विधानसभा सीट से बुरी तरह से हार हुई। गंगोत्री विधानसभा से भाजपा के सुरेश सिंह चौहान की जीत हो चुकी है। उन्होंने कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार विजयपाल को करीब 6,000 वोटों से हराया है।

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