हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड को देवभूमि की संज्ञा प्राप्त है, ये भूमि सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति का उद्गम स्थल है। देवभूमि उत्तराखंड का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, यहां से ही परम पावनी गंगा जी, यमुना जी और सरस्वती जी का प्रादुर्भाव हुआ। यह हिमालयी क्षेत्र अनेकानेक ऋषि मुनियों की तपस्थली है, यहां से ही वेद इत्यादि सत-शास्त्रों का प्राकट्य हुआ।

केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि अनेकानेक तीर्थ स्थल यहां स्थित है। यहां साक्षात देवी-देवता निवास करते है, वरण इस क्षेत्र को देवभूमि के रुप में प्रतिष्ठित किया गया है।

देश-विदेश में बसे सभी हिंदुओं का यह आस्था का केंद्र है। लेकिन विडंबना देखिए इस देवभूमि उत्तराखंड को इस्लामिक अतिवादियों द्वारा अनुचित अरबी शब्द अयत जोड़कर देवभूमि उत्तराखंड का शाब्दिक इस्लामिकरण करने का कुचित प्रयास वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत द्वारा किया जा रहा है।

उत्तराखंडियत का अर्थ

शब्दअर्थ
अयत (آيات)अल्लाह की निशानी , प्रमाण ।

शब्द बहुत प्रभावशाली होते है ,जब कोई शब्द कहा जाता है तो सामने वाले व्यक्ति पर उसका मनोवैज्ञानिक रुप से बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

उत्तराखंड + अयत = उत्तराखंडियत, यह जो अनुचित प्रत्यय सुनियोजित ढंग से जोड़कर कांग्रेस नेता हरीश रावत ने देवभूमि उत्तराखंड को अल्लाह की निशानी बनाने की मंशा स्पष्ट की है वह बहुत खतरनाक है। उत्तराखंडियत शब्द बहुत ही चालाकी से लोगों के अवचेतन मन में गढ़ने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे की देवभूमि में इस्लामिकरण की घटनाओं को सामान्य किया जा सके।

और निस्संदेह जब कांग्रेस नेता हरीश रावत उत्तराखंडियत को बचाने की बात करते हैं तो वह देवभूमि में बसे मुस्लिम जिहादियों, अवैध मस्जिद-मजारों और उनके द्वारा बसाए गए रोहिंग्या घुसपैठियों को बचाने और बसाने की बात करते हैं।

देवभूमि उत्तराखंड को अल्लाह की निशानी बताने और बनाने का प्रायोजित ढंग से जो कुचित प्रयास किया जा रहा, उससे सभी देवभूमि वासियों को सचेत होने और ऐसे धूर्त नेताओं के जाल में फंसने से बचना चाहिए और अपने-अपने स्तर से इस वैचारिक इस्लामीकरण का पुरजोर विरोध कर इस षड्यंत्र को ध्वस्त करना पड़ेगा।

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