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अग्निपथ योजना: टूर ऑफ ड्यूटी का सही अर्थों में विरोध क्यों?

श्री सागर सिंह बिष्टBy श्री सागर सिंह बिष्ट19/06/2022
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अग्निपथ योजना: टूर ऑफ ड्यूटी
  • पूर्व से चले आ रहे सैन्य भर्ती प्रक्रिया में कोई खामियां न होने के बाद भी सेना में पाश्चात्य टूर ऑफ ड्यूटी मॉडल अग्निपथ के प्रयोग से सेना मात्र बेरोजगारी दूर करने का साधन बनेगी और 4 वर्ष के धनार्जन के उद्देश्य से भर्ती हुआ टूरिस्ट सैनिक राष्ट्र के प्रति उसके दायित्वों को ठीक ढंग से नहीं निभाएगा और इससे निश्चित रूप से सेना का मनोबल और स्तर गिरेगा।
  • प्रत्येक वर्ष औसतन 60 हजार सैनिक रिटायर्ड होते है। 3 वर्ष पहले 80 हजार सैनिकों की भर्ती हुई थी और पिछले 2 वर्षों में सेना की भर्ती न होने के कारण सेना में लगभग 1 लाख 20 हजार सैनिकों की कमी है। अग्निपथ योजना से इस वर्ष 46,000 जवान भर्ती होंगे यानी सेना में 74,000 man power की कमी रहेगी और 4 साल बाद इन 46,000 सैनिकों में से केवल (25%) 11,500 की ही संख्या सेना में रहेगी और इन 25% सैनिकों की चयन प्रक्रिया में विकृति आना भी सम्भावित है।
  • और जब 4 वर्ष बाद (75%) 34,500 अपरिपक्व अंश कालिक सैनिकों को सेनानिवृत किया जायेगा तो उस समय सरकार द्वारा उन्हें रोजगार न दे पाने की स्थिति में राष्ट्र विरोधी ताकतों चीन पाकिस्तान इत्यादि द्वारा कुछ प्रतिशत संख्या को भी लालच,अधिक धन या हनीट्रैप करके इनका दुरुपोग किया गया तो राष्ट्र की सुरक्षा के लिए यह सबसे बड़ा खतरा होंगे तो इसका उत्तरदायी कौन होगा?
  • वर्तमान समय में भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है। सेना का ध्येय होता है, युद्ध के लिए तत्पर रहना, युद्ध लड़ना और युद्ध जीतना लेकीन अग्निपथ के परीक्षण के बाद हमें इसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे सेना में अनुशासनहीनता, सैनिकों की कमी, और युद्ध की दृष्टि से कमजोर सेना ही प्राप्त होगी।
  • भारत चारों तरफ से शक्तिशाली शत्रुओं से घिरा है अगर चीन,पाकिस्तान द्वारा युद्ध की स्थिति उत्पन्न हुई तो हमारे पास सैन्य संख्या की कमी और अनुभवहीन अंशकालिक सैनिक होंगे और युद्ध की दृष्टि से अनुभव शून्य सेना शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में असमर्थ रहेगी।
  • अनावश्यक सरकारी बाबुओं, नौकरशाही को कम नहीं करा जायेगा, लेकिन देश के लिए बलिदान देने वाले सेना के जवानों को कम करेंगे, सेना में ये टूर ऑफ ड्यूटी प्रयोग बहुत ही मूर्खतापूर्ण है। CDS बिपिन रावत जी होते तो सेना को मात्र नौकरी और बेरोजगारी दूर करने का साधना नहीं बनने देते और अपने जवानों के साथ ऐसा अन्याय कभी नहीं होने देते।

आग्रह: युवाओं का प्रतिक्रिया देना आवश्यक है लेकिन अनुशासन और मर्यादा में रहकर ही।

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श्री सागर सिंह बिष्ट

प्रधान संपादक [email protected]

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