उत्तराखंड राज्य विधानसभा चुनाव से पहले, कॉन्ग्रेस प्रमुख हरीश रावत ने मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने पर राज्य के भीतर एक मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने का वादा किया है। इस वायदे के बाद कॉन्ग्रेस नेता अकील अहमद ने सहसपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर कॉन्ग्रेस में सत्ता आती है तो वह मुस्लिम छात्रों के लिए एक स्कूल बनाएँगे।

अकील अहमद की माँग थी कि उत्तराखंड में सहसपुर के सेलाकुई क्षेत्र में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोली जाए

उत्तराखंड कॉन्ग्रेस के भीतर सब कुछ सही नहीं चल रहा है। एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हरीश रावत तक को हर जगह पार्टी के अन्य नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। चुनाव से ठीक पहले कॉन्ग्रेस के भीतर मची इस भगदड़ को कॉन्ग्रेस किसी भी तरह से शांत करने की कोशिश कर रही है।

भाजपा उत्तराखण्ड ने एक पोस्ट शेयर करते हुए बताया है कि कॉन्ग्रेस और भाजपा में क्या अंतर है। देवभूमि उत्तराखण्ड में भाजपा संस्कृत यूनिवर्सिटी खोलेगी और कॉन्ग्रेस मुस्लिम यूनिवर्सिटी।

https://twitter.com/BJP4UK/status/1488340084638515202

हरीश रावत के इस वायदे के बाद उनकी ‘उत्तराखंडियत’ की पोल एक बार फिर खुल गई है। उल्लेखनीय है कि हरीश रावत सरकार में देवभूमि उत्तराखण्ड में हर जुम्मे की नमाज के लिए शुक्रवार को सरकारी कर्मचारियों को 1.5 घंटे की छुट्टी की घोषणा भी की गई थी। हालाँकि, अब हरीश रावत इस प्रकरण से बचते नजर आते हैं।

साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अभी कुछ दिन पहले फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें कॉन्ग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में हरीश रावत द्वारा मौलवियों को पेंशन शुरू करने की बात का भी जिक्र किया गया था।

बता दें कि सहसपुर में कॉन्ग्रेस ने पिछली बार बगावत कर पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले आर्येद्र शर्मा को टिकट दिया है, जिसके बाद से इस सीट से कॉन्ग्रेस में अकील अहमद भी दावेदारी जता रहे थे।

कॉन्ग्रेस के मनोनीत उपाध्यक्ष अकील अहमद को पार्टी की ओर से यह आश्वासन मिला है

टिकट ना मिलने से नाराज कॉन्ग्रेस के बागी अकील अहमद ने निर्दलीय नामांकन पत्र जमा कराया था। सोमवार को काफी प्रयास के बाद अकील अहमद ने नामांकन वापस ले लिया है। वहीं अकील अहमद को उत्तराखंड कॉन्ग्रेस कमेटी का प्रदेश उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा अकील अहमद की शर्तें मानने के बाद ही उन्होंने अपना नामांकन वापस लिया है। इस में शामिल शर्तों में एक शर्त यह है कि राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार आने के बाद सहसपुर में एक मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी।

https://twitter.com/TajinderBagga/status/1488427092169531392

अकील अहमद का दावा है कि उनकी माँग को हरीश रावत ने जायज बताते हुए कहा है कि उनकी सरकार आई तो माँग जरूर पूरी की जाएगी। उनका ये वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वह देहरादून जिले के सहसपुर विधानसभा क्षेत्र के कॉन्ग्रेस प्रत्याशी आर्येन्द्र शर्मा के समर्थन में अपना नामांकन वापस लिए जाने के अवसर पर अपनी बात रख रहे हैं कि यहाँ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनना चाहिए।

प्रदेश भाजपा का कहना है कि ये वही कॉन्ग्रेस है, जिस ने देवप्रयाग में संस्कृत विश्वविद्यालय खोले जाने का विरोध किया था और अब देवभूमि उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोले जाने की बात करती है।

उल्लेखनीय है कि कॉन्ग्रेस शासनकाल में यूपी से मुस्लिम आबादी को लाकर बसाने के आरोप भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के समर्थकों पर लगे थे। जबकि वर्तमान धामी सरकार ने जनसंख्या असंतुलन पर एक शासकीय समिति भी बनाई है। फिलहाल कॉन्ग्रेस अपने मुस्लिम विश्वविद्यालय के वादे पर घिरती हुई नजर आ रही है।

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