उत्तराखंड के दूरस्थ गाँव आज भी सड़कों के लिए जूझ रहे हैं। इसके पीछे स्थानीय राजनेताओं की इच्छाशक्ति तो जिम्मेदार है ही, लेकिन बदलते दौर में ‘सिविल सोसायटी’ भी इसमें अपना पूरा-पूरा योगदान दे रहे हैं।

ये Woke NGO स्थानीय लोगों को पर्यावरण का हवाल देते हैं और उन्हें समझने की कोशिश करते हैं कि उनकी जिंदगी विकास और अच्छी सड़कों के बिना बहुत बेहतर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी चार धाम रोड परियोजना ऐसे ही NGO की PIL के चलते लम्बे समय तक विवाद और बहस का विषय बनी रही।

इस वीडियो में हम एक्सप्लेन करेंगे की सिविल सोसायटी और प्रगतिशील NGO के निशाने पर अब उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य कैसे आ गए हैं।

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