गुजरात की एक विशेष अदालत ने 38 लोगों को 2008 के अहमदाबाद सीरियल बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराने के बाद फाँसी की सजा सुनाई है। इनके अलावा, 11 अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। पिछले सप्ताह ही गुजरात की एक विशेष अदालत ने विस्फोटों के सिलसिले में 49 लोगों को दोषी ठहराया और 28 अन्य को बरी कर दिया।
26 जुलाई, 2008 को शनिवार के दिन अमदाबाद में शाम 6:15 बजे से शाम 7:45 बजे तक 90 मिनट में 20 स्थानों पर शक्तिशाली बम विस्फोट हुए थे। ये धमाके बसों, अस्पताल, पार्किंग स्थल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर किए गए थे।
अदालत ने इन धमाकों में घायल हुए लोगों के लिए मुआवजे का भी ऐलान किया है। इस बम ब्लास्ट प्रकरण में 13 साल बाद आए फैसले में विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने 7,015 पेज का फैसला सुनाया।
गौरतलब है कि अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत से सभी आरोपितों को फाँसी की सजा देने की माँग की गई थी। जबकि बचाव पक्ष ने कम से कम सजा की अपील कोर्ट से की थी।
अहमदाबाद विस्फोट मामले में सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एआर पटेल ने 8 फरवरी को फैसला सुनाते हुए 49 आरोपितों को दोषी करार दिया था। अदालत ने 77 में से 28 आरोपितों को बरी कर दिया था।
अमदाबाद पुलिस ने मामले में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी। सूरत में भी 15 एफआईआर दर्ज हुई थीं। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी आतंकियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे।
तत्कालीन डीजीपी आशीष भाटिया के नेतृत्व में तेजतर्रार अधिकारियों की टीम बनाई गई थी। 19 दिनों के अंदर 30 आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद बाकी आतंकियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। अमदाबाद में हुए इन धमाकों से पहले आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की इसी टीम ने जयपुर और वाराणसी में धमाकों को अंजाम दिया था।